भारत में संचार
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भारतीय दूरसंचार उद्योग दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता दूरसंचार उद्योग[1][2][3] है, जिसके पास अगस्त 2010[4] तक 706.37 मिलियन टेलीफोन (लैंडलाइन्स और मोबाइल) ग्राहक तथा 670.60 मिलियन मोबाइल फोन कनेक्शन्स हैं। वायरलेस कनेक्शन्स की संख्या के आधार पर यह दूरसंचार नेटवर्क मुहैया करने वाले देशों में चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है।[5] भारतीय मोबाइल ग्राहक आधार आकार में कारक के रूप में एक सौ से अधिक बढ़ी है, 2001 में देश में ग्राहकों की संख्या लगभग 5 मिलियन[6] थी, जो अगस्त 2010 में बढ़कर 670.60 मिलियन हो गयी है।[4]
चूंकि दूरसंचार उद्योग दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है, इसलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 2013 तक भारत में 1.159 बिलियन मोबाइल उपभोक्ता हो जायेंगे.[7][8][9][10] इसके अलावा, कई वैश्विक सलाहकार संस्थाओं का अनुमान है कि 2013 तक भारत में ग्राहकों की कुल संख्या चीन के कुल ग्राहकों की संख्या को पार कर जाएगी.[7][8] इस उद्योग के 26 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ कर 2012 तक के 3,44,921 करोड़ (US$71.05 बिलियन) आकार तक पहुंचने और इसी अवधि के दौरान लगभग 10 मिलियन लोगों के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न करने का अनुमान है।[11] विश्लेषकों के अनुसार, यह क्षेत्र प्रत्यक्ष रूप से 2.8 मिलियन और अप्रत्यक्ष रूप से 7 मिलियन लोगों के लिए रोजगार पैदा करेगा.[11] वर्ष 2008-09 में पूर्व वित्त वर्ष के मुकाबले 1,15,382 करोड़ (US$23.77 बिलियन) समग्र दूरसंचार उपकरणों का राजस्व भारत में 1,36,833 करोड़ (US$28.19 बिलियन) बढ़ा था।[12]
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